आलोचना >> शायर दानिशवर फ़िराक गोरखपुरी शायर दानिशवर फ़िराक गोरखपुरीअली अहमद फातिमी
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यह किताब एक नये फिराक को समझने में सहायक बनती है
फिराक गोरखपुरी बीसवीं शताब्दी के कालजयी शख्सियत के मालिक हैं, स्वतंत्रता आन्दोलन से लेकर प्रगतिशील आन्दोलन तक जुड़े रहने के कारण एवं अंग्रेजी साहित्य के अध्यापक होने के कारण उनकी शायरी में एक नया रंग उभरकर आया है जिसे प्रो. फातमी ने बड़े व्यापक ढंग से प्रस्तुत किया है। उनकी गजलें, नज्में, प्रगतिवाद एवं मार्क्सवाद पर एक नई बहस छेड़ी है और उनकी सियासी जिन्दगी के कुछ नये तथ्य तलाश किये हैं यह किताब एक नये फिराक को समझने में सहायक बनती है।
पाठकों द्वारा उर्दू में प्रकाशित पुस्तक बेहद पसन्द किया गया अब हिन्दी संस्करण प्रस्तुत है जो निःसन्देह पठनीय एवं संग्रहणीय है।
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